kabzaa movie || 2022 || पूरी फ़िल्म की रियल कहानी हिन्दी मैं || बेस्ट थ्रिलर मूवी || सुदीप उपेन्द्र राव लक्ष्मण मुरली शर्मा काजल अग्रवाल श्रिया सरन telugu - Moviegyaan | Movie reviews, News, Hollywood, Bollywood, Webseries.

Monday, 3 October 2022

kabzaa movie || 2022 || पूरी फ़िल्म की रियल कहानी हिन्दी मैं || बेस्ट थ्रिलर मूवी || सुदीप उपेन्द्र राव लक्ष्मण मुरली शर्मा काजल अग्रवाल श्रिया सरन telugu

कब्जा || 2022 || पूरी फ़िल्म की रियल कहानी हिन्दी मैं || बेस्ट थ्रिलर मूवी || सुदीप उपेन्द्र राव लक्ष्मण मुरली शर्मा काजल अग्रवाल श्रिया सरन 



About: 

सुदीप 
उपेन्द्र राव 
लक्ष्मण 
मुरलि शर्मा 
काजल अग्रवाल 
श्रिया सरन 
कबीर दोहन सिंह

Director: र चंद्रू शेकर 

मूवी की स्टोरी:

दृष्टि की एक और गैंगस्टर वर्ड में बनने जा रही कब्जा मूवी की कहानी शुरू होती है। इर 1942 से जब पूरे इंडिया में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन चल रहा था। 

अहिंसा और सत्याग्रह के दम पर गाँधी जी और गाँधीजी को मानने वाले उनके अनुयायियों के कारण ब्रिटिश सरकार को इस बात का एहसास। हो गया था की अब उनको भारत छोड़कर जाना पड़ेगा। 

इसलिए ब्रिटिश सरकार ने एक सीक्रेट प्लैन बनाया। ब्रिटिश सरकार ने इंडिया के कुछ लोकल गैंगस्टर्स को पैसों का लालच देकर गाँधी जी के अनुयायियों को कैद करके कहीं छुपाकर रखने का काम दे दिया। 

गाँधी जी के अनुयायियों में 13 साल का लड़का सूर्य अपने छोटे भाई कृष्णा और विधवा। माँ के साथ वहाँ गुलाम बनकर रहने आ गया। वो गैंगस्टर सारा दिन उन गुलामों से काम करवातें और खाने के लिए खाना भी नहीं देते थे। 


इसलिए 1 दिन सूर्य के छोटे भाई यानी कृष्णा की खाना न मिलने के कारण मौत हो गई। इस बात को 5 साल हो जाती है और भारत आजाद होने वाला होता है। जब वहाँ के गुलामों को। इस बात का पता चलता है तब सूर्य जो अब 18 साल का हो चुका होता है वहाँ के गैंगस्टर्स को मार देता है। 

असल में अपने छोटे भाई की मौत के बाद सूर्य ने ये ठान लिया था की वो एक ना 1 दिन इन सभी गैंगस्टर्स को मारकर अपने भाई की मौत का बदला ले लेगा। फिर मौका मिलते ही सूर्यने। उन गैंगस्टर्स को मार दिया और अहिंसा का रास्ता छोड़कर हिंसा का रास्ता अपना लिया। 


सूर्य की माँ हमेशा सूर्य से कहती थी कि चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन हमको गाँधी जी के बनाये अहिंसा के रास्ते पे ही चलना चाहिए। लेकिन फिर 30 जनवरी 1900 अड़तालीस को गाँधी जी का भी हत्या कर दी गई। 


अब सूर्य को भरोसा हो गया की अहिंसा के रास्ते पर चलने से दुनिया उसको कमजोर समझेगी। इसलिए सूर्य ने अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कदम रख लिया। बहुत से पुराने बड़े बड़े गैंगस्टर्स ने सूर्य को रोकने और उसको डराने की कोशिश की, लेकिन सूर्या ने एक एक करके सबको मार दिया। सूर्य की माँ भी सूर्य को छोड़कर चली गई सूर्य रोल फ़िल्म में उपेंद्र प्ले कर रही है। 


12 साल बाद सूर्य इंडिया का सबसे बड़ा गैंगस्टर बन गया उन दिनों हैदराबाद रियासत की एकलौती बारिश राजकुमारी मधुमति जिसका फ़िल्म में रोल श्रेया शरण प्ले कर रही है। अपने पिता राजा राम प्रताप की मौत के बाद अपनी रियासत को संभाल लिया था, लेकिन बहुत से लोगों का मानना था की मधुमति के पिता भी भारत की आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर गाँधी जी के अनुयायियों को गुलाम बनाने के षडयंत्र में मिले हुए थे। 

इसलिए आजादी के बाद उन गुलामों ने राजा राम प्रताप को मार दिया और अब वो राजकुमारी मधुमती को भी मारना चाहते हैं। लेकिन राजकुमारी मधुमती एक हाइ सेक्युरिटी ताज महल मेँ रहती है इसलिए राजकुमारी मधुमती को मारना तो दूर उस तक पहुँच पाना भी नामुमकिन था। 


देश के कुछ पॉलिटिकल लीडर्स भी राजकुमारी मधुमती को मारना चाहते हैं। इसलिए अब इस काम के लिए इंडिया के सबसे बड़े गैंगस्टर सूर्य को चुना जाता है क्योंकि हर कोई जानता है कि सूर्य ने अपने पिता और भाई को भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में खो दिया था। 

इसलिए सूर्य के दिल में आज भी उन लोगों के खिलाफ़ नफरत भरी हुई है, जिन्होंने ब्रिटिश सरकार का साथ इंडियन फ्रीडम फाइटर्स को मारने में किया था। सूर्य को राजकुमारी मधुमती को मारने का कॉनट्रैक्ट दे दिया जाता है। 


सूर्य एक बहुत बड़ी रकम के बदले राजकुमारी मधुमति को मारने के लिए तैयार हो जाता है। इधर, सीबीआइ को भी पता चल जाता है की इंडिया का मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर सूर्या राजकुमारी मधुमती को मारने वाला है। इसलिए सूर्य को पकड़ने के लिए सीबीआइ के सबसे काबिल ऑफिसर भार्गव बक्षी जिसका फ़िल्म में रोल किचा सुदीप ले कर रहे हैं, को बुलाया जाता है। 

ऐसी सर भार्गव बख्शी भेस बदलकर सूर्य के अड्डे पर पहुँच जाता है। लेकिन सूर्य भार्गव बक्शी को पहचान लेता है। सूर्य भार्गव बक्शी को जान से नहीं मारता बल्कि उसको ये कहकर छोड़ देता है की दुनिया की कोई ताकत सूर्य को राजकुमारी मधुमति तक पहुंचने से नहीं रोक सकती और सूर्य ऑफिसर भार्गव बक्शी को ये चैलेंज देता है की अगर वो सूर्य को रोक सकता है तो रोक लें। 

अब भार्गव बक्शी। वहाँ से चला जाता है। फिर कुछ दिन बाद रानी मधुमति के जन्मदिन के अवसर पर उनके राजमहल में बहुत बड़ा फंक्शन होता है, जहाँ सूर्य पहुँच जाता है। ऑफिसर भार्गव बक्शी भी ये जानता है कि सूर्य आज राजमहल में जरूर आएगा, इसलिए ऑफिसर भार्गव भी अपनी टीम को लेकर वहाँ पहुँच जाता है। 

फंक्शन शुरू होते ही जैसे ही रानी। मधुमति लोगों के सामने स्टेज पर आती है तभी स्टेज पर सूर्य पहुँच जाता है, सूर्य के हाथ में गन होती है और रानी मधुमति सूर्य के सामने होती है। सबको लगता है की अब सूर्य रानी मधुमती को शूट करके मार देगा, लेकिन सूर्य ऐसा नहीं करता बल्कि सूर्य रानी मधुमक्खी को पकड़कर वहाँ से ले जाता है। 


कुछ हमलावर सूर्य पर हमला करते हैं। असल में वो हमलावर सिर्फ सूर्य पर ही नहीं बल्कि राजकुमारी मधुमति पर भी हमला कर रहे होते है। मतलब राजकुमारी मधुमती को बचाने वाले लोग ही राजकुमारी मधुमति को मारना चाहते हैं, लेकिन वो लोग कौन है  

ऑफिसर भार्गव बक्शी भी  मधुमति को मारना चाहता था सूर्य राजकुमारी मधुमति को मारने नहीं बल्कि बचाने उस फंक्शन में पहुंचा था और सूर्य राजकुमारी मधुमति को ऑफिसर भगरव बक्शी से बचा लेती है ! यहां हमारी मूवी की कहानी का अंत होता है !

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