laal singh chaddha 2022 movie || पूरी फिल्म की रियल कहनी हिन्दी में || आमिर ख़ान शाहरुख ख़ान करीना कपूर संजय दत्त अद्वैत चंदन
About :
आमिर ख़ान
शाह रुख ख़ान
करीना कपूर
मोना सिंह
संजय दत्त
किरन राव
ज्योति देशपांडे
..... !
Director : अद्वैत चंदन
Budget : 180 crore around
मूवी की स्टोरी :
और ये एक सिर्फ लव स्टोरी भी नहीं है। कहानी शुरू होती है 1966 के बाद की जब हिंदू और सिख के बीच कत्लेआम शुरू हो गया था और उस कत्लेआम में लाल सिंह के पिता जी की मौत हो गई थी।
पंजाब के एक छोटे से गांव में लाल सिंह की माँ ने अकेले ही लालसिंह की देखभाल की। लालसिंह का आइक्यू लेवल बचपन से ही वीक था और लाल सिंह बचपन में फिज़िकली भी कमजोर था।
लेकिन फिर लाल सिंह के स्कूल में एंट्री होती है। रूपा की स्कूल में लाल सिंह और रूपा अच्छे दोस्त बन जाते हैं। रूपा लाल सिंह की मासूमियत पर हस्ती भी है और उसको दूसरों से अलग भी समझती है।
1 दिन जब स्कूल के कुछ लड़के लाल सिंह का मजाक उड़ाते हैं और उसको दौड़ लगाने को कहते हैं तब लाल सिंह को रूपा हौसला देती है और उस दिन लालसिंह ऐसे दौड़ता है की फिर कोई भी लाल सिंह की तरह दौड़ नहीं पाता और कॉलेज पहुंचने तक लाल सिंह 1994 की ओलिंपिक्स में इंडिया के लिए गोल्ड मेडल ले आता है।
लालसिंह की पॉपुलैरिटी बढ़ने लग जाती है। दूसरी। लालसिंह की बचपन की दोस्त रूपा जो शाहरुख खान की सुपरहिट मूवी दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जो 1995 में रिलीज हुई थी को देखकर शाहरुख खान की फैन बन जाती है और अब रूपा भी बॉलीवुड में एक्ट्रेस बनना चाहती है।
लाल सिंह को अब आर्मी जॉइन करने का मौका मिलता है। जहाँ लाल सिंह की मुलाकात होती है, बालाराजू जो एक आर्मी सोल्जर हैं। लेकिन बाला राजू हमेशा से एक बिज़नेस मैन बनना चाहता था, लेकिन फैमिली प्रेशर के कारण बाला राजू को आर्मी जौन करनी पड़ी।
बाला राजू अंडर गारमेंट्स का बिज़नेस करना चाहता था। फिर 1 दिन लाल सिंह रूपा से मिलकर उससे अपने प्यार का इजहार कर देता है। लेकिन रूपा लाल सिंह से कहती है की उसको अपना ऐक्टर्स बनने का ड्रीम पूरा करना है
इसलिए रूपा लाल सिंह से शादी नहीं कर सकती। ये सुनकर लाल सिंह का दिल टूट जाता है। रूपा लाल सिंह से जाते वक्त कहती है की अगर आर्मी में कभी तुम्हें जंग करनी पड़े तो खुद की जान बचाने के बारे में सोचना ना की बहादुरी दिखाकर शहीद होने के बारे में।
मतलब रूपा भी मन ही मन लाल सिंह से प्यार करती है लेकिन रूपा पहले अपना कैरिअर बनाना चाहती है। अब इस बात को 4 साल गुजर जाते हैं और नइर् 1999 में इंडिया। पाकिस्तान के बीच कारगिल वॉर शुरू हो जाती है।
लाल सिंह और उसका दोस्त बालाराजू भी कारगिल वॉर में शामिल हो जाते हैं। वहाँ लालइस गुफा की कही हुई बात को याद रखता है और शहीद होने नहीं चाहता। लेकिन लाल सिंह के साथी आर्मी सोल्जर घायल होने लग जाती है।
लाल सिंह दुश्मनों का मुकाबला करने की बदले अपने घायल साथियों को उठाकर कहीं दूर ले जाता है। लाल सिंह के साथी लाल सिंह से कहते है की हम आर्मी सोल्जर्स है। हमको जंग के मैदान में पीठ दिखा कर भागना नहीं सिखाया बल्कि जंग के मैदान में शहीद होना सिखाया है।
लाल सिंह अपने साथियों की बात नहीं मानता और उनको दुश्मन से बचाकर दूर ले जाता है। लाल सिंह का दोस्त बाला भी घायल हो जाता है, लेकिन लाल सिंह बाला को मरने से बचा नहीं पाता। बाला मरते मरते लाल सिंह से कहता है की मैं जंग में शहीद होने नहीं आया था।
मैं तो रिटायरमेंट के बाद अंडर गारमेंट्स का बिज़नेस करना चाहता था। इतना कहकर बाला मर जाता है। लाल सिंह अपने पांच घायल साथियों की जान बचा लेता है। इन्डिया कारगिल का वोर जीत जाता है और सभी लाल सिंह को पीठ दिखाकर जंग से भागने वाला नहीं बल्कि।
जंग के मैदान से अपने साथियों की जान बचाने वाला बहादुर सिपाई कहते है। लाल सिंह को उसकी बहादुरी के लिए प्रेसिडेंट केआर नारायण के हाथों परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाता है।
लेकिन लाल सिंह का एक साथी जो उस जंग में घायल होने की वजह से पैरों से अपाहिज हो गया था, वो लाल सिंह से इस बात से नाराज था की वो एक बहादुर सोल्जर की तरह जंग में मरना चाहता था लेकिन अब वो अपाहिज हो गया है और अब वो दुनिया में एक बोझ बन गया है।
अब लाल सिंह की पॉपुलैरिटी और ज्यादा बढ़ने लग जाती है, लेकिन लाल सिंह आज भी अपनी लाइफ को कंप्लीट नहीं समझता क्योंकि लाल सिंह रूपा के बिना अपनी लाइफ को अधूरा मानता है।
आर्मी में रहते हुए लाल सिंह टेबल टेनिस भी खेलने लग जाता है और एक अच्छा प्लेयर बन जाता है, जिसकी वजह से लाल सिंह को बहुत से मेडल्स भी मिलते है। अब लाल सिंह आर्मी से रिटायर हो जाता है।
रिटायरमेंट के बाद लाल सिंह अपने दोस्त बाला का सपना पूरा करने के लिए अंडर गारमेंट्स का बिज़नेस शुरू कर देता है। लाल सिंह अपना सारा पैसा जो लाल सिंह ने आर्मी और स्पोर्ट से कमाया होता है, उस बिज़नेस में लगा देता है और मुंबई में अपना बिज़नेस सेट कर लेता है।
लेकिन फिर मुंबई पर इर 2000 डेट में टेररिस्ट अटैक हो गया और उस 2611 मुंबई अटैक में ना सिर्फ बहुत से इन्डियन्स मारे गए बल्कि फौरन बिज़नेस मैन जो मुंबई के ताज होटेल मैं। चूके हुए थे। वो भी टेररिस्ट अटैक में मारे गए।
उस अटैक के कुछ महीने बाद धीरे धीरे सब कुछ ठीक तो हो गया लेकिन फ़ौरन के बिजनेसमैन जो इंडिया में अंडर गारमेंट्स का बिज़नेस कर रहे थे, इन्हें टेररिज़म के कारण इंडिया में बिज़नेस करना बंद कर दिया। जीस वजह से अब लाल सिंह का अंडर गारमेंट्स का बिज़नेस इन्डिया में तेजी से बढ़ने लग गया।
और देखते ही देखते लाल सिंह करोड़पति बन गया। फिर 1 दिन लाल सिंह की माँ की मौत एक बिमारी के कारण हो गई। तब लाल सिंह अंदर से पूरी तरह से टूट गया और लाल सिंह ने अपना अंडर गारमेंट्स का सारा बिज़नेस अपने उस अपाहिज दोस्त के लिए छोड़ दिया जिसको लाल सिंह ने जंग के मैदान से बचा लिया और खुद लाल सिंह सब कुछ छोड़कर दुनिया का चक्कर दौड़कर लगाने लग गया।
पहले पहले लोग लाल सिंह को बेवकूफ कहते रहे, लेकिन बाद में लोगों का एक बड़ा काफिला लाल सिंह के साथ उस दौड़ में शामिल हो गया और लाल सिंह के नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज हो गया। फिर 1 दिन रूपा लाल सिंह से मिलकर ये बताने आई थी कि वो एक्ट्रेस बनने के लिए जा रही है
और वो आज के बाद शायद लालसिंह से। अभी नहीं मिल पाएगी और अगले दिन सुबह रूपा वहाँ से चली जाती है। इस बात के 5 साल बाद अब लाल सिंह सब कुछ छोड़कर अपने गांव में रहता है, जहाँ उसको 1 दिन रूपा का एक लेटर मिलता है और लाल सिंह रूपा से मिलने मुंबई चला जाता है।
लेकिन वह रूपा नहीं होती क्योंकि रूपा कैंसर की बिमारी के वजह से मर चुकी होती है। लेकिन वहाँ लाल सिंह को एक 5 साल का छोटा लड़का मिलता है और वो लड़का और कोई नहीं लाल सिंह और रूपा का बेटा होता है।
रूपा ने अपने मैं इसके बारे में लाल सिंह को लिखकर बता दिया था। लाल सिंह अपने बेटे को लेकर अपने गांव आ जाता है। लाल सिंह अब ये चाहता है की उसके बेटे को उसकी तरह आइक्यू लेवल कम होने की कारण सारी
जिंदगी लोगों की बात ये सुन्नी ना पड़े और उसके बेटे को लाइफ में वो सब कुछ मिल जाए जो वो चाहता हो और फ़िल्म एक ओर इन रीमिकी एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी कहानी के साथ यहीं पर खत्म हो जाती है
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